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बेटी घर का नूर है, ये धरती आकाश।। जिस घर पैदा हो

बेटी घर का नूर है,
ये धरती आकाश।। 
जिस घर पैदा हो सुता,
वहाँ देव का वास।।
वहाँ देव का वास,
उसी घर उन्नति होती।। 
सुख, वैभव, उल्लास,
वहीं खुशियाँ हैं सजती।। 
कहत ‘सनम’ कर-जोड़,
बराबर बेटा-बेटी।। 
आँगन होगा जश्न,
खिली जो हर घर बेटी।।

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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