कुछ हैरान हुआ मैं,कुछ तुम नादान हो गई आँखों ने इशारा पढ़ लिया और अपनी जान-पहचान हो गई हर इत्तेफ़ाक ख़ूबसूरत हो गया,अमावस की रात चाँदनी हो गई एक बूंद पानी बरस गया,घटाएं मिट्टी पर मेहरबान हो गईं मैं अपलक देखता तुम्हें रहा,सुबह से फिर शाम हो गई आँखें थक गई दिल भरा नहीं,ज़िदंगी अधूरी दास्तान हो गई पाने को कुछ बचा नहीं,जो बचा वो मेरा रहा नहीं जो रहा वो तुममें खो दिया,ग़ुम तुममें मेरी पहचान हो गई मुश्किलें तमाम थीं फिर भी इश्क उन्होनें किया है जबसे इश्क किया है उन्होनें,ज़िदंगी आसमान हो गई मंज़िले कभी रूकी नहीं,रास्ते भी चलते रहे तेरे संग मैं बहता रहा और ज़िदगी आसान हो गई... © trehan abhishek ♥️ Challenge-602 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।