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प्रथम दाखिला कर शाला में लिखूँ कहाँ ,नाम पता न था

प्रथम दाखिला कर शाला में
लिखूँ कहाँ ,नाम  पता न था 
जात लिखूँ कहाँ धर्म लिखूँ
तब जातिवाद कहाँ पर था 

सचिन अमित आशीष पुकारे
अध्यापक उपस्थिति कराने
तब भी कौन न क्या क्या था 
तब जातिवाद कहाँ पर था 

इसकी चटनी अचार किसी का 
सब्जी रोटी संग प्यार किसी का 
बैठ के सब खाते थे मिलके
तब जातिवाद कहाँ पर था 

स्कूल से संग घर वापस आना
बेहिचक  सबके घर जाना
बेरोकटोक ही तो सब संग थे 
तब जातिवाद कहाँ पर था 

ग्रीष्मकाल का हुआ था आना
छुट्टी में था सबको जाना
ये सब समय अब कहीं बिताना
शुरू हो गया नया तराना 

वो मुखिया वो पंडित मुल्ला
ओमेहतर नाई ओरे ठुल्ला
शब्दकोष में अब शब्द नया था 
जिसमे जातिवाद छुपा  था 

व्यर्थ खोद अब अर्थ निकाला 
छुआछूत को अब अपनाया
अबतक शिक्षा में न कभी पढा था
हरघर जाति स्तंभ गडा था

कर बखान शान गौरवगाथा
क्यो कह सुन चकराए माथा
जात धर्म कुल महान बडा था 
आज जकडा कही हीन पडा था 

कुछ सफेद कुछ खादी वाले 
मायाजाल से शब्द निराले
ताज जात का रौंदनेवाले
हरघर है विष घोलनेवाले

#तब_जातिवाद_कहाँ_पर_था
#sadharanmanushya

©#maxicandragon प्रथम दाखिला कर शाला में
लिखूँ कहाँ ,नाम  पता न था 
जात लिखूँ कहाँ धर्म लिखूँ
तब जातिवाद कहाँ पर था 

सचिन अमित आशीष पुकारे
अध्यापक उपस्थिति कराने
तब भी कौन न क्या क्या था
प्रथम दाखिला कर शाला में
लिखूँ कहाँ ,नाम  पता न था 
जात लिखूँ कहाँ धर्म लिखूँ
तब जातिवाद कहाँ पर था 

सचिन अमित आशीष पुकारे
अध्यापक उपस्थिति कराने
तब भी कौन न क्या क्या था 
तब जातिवाद कहाँ पर था 

इसकी चटनी अचार किसी का 
सब्जी रोटी संग प्यार किसी का 
बैठ के सब खाते थे मिलके
तब जातिवाद कहाँ पर था 

स्कूल से संग घर वापस आना
बेहिचक  सबके घर जाना
बेरोकटोक ही तो सब संग थे 
तब जातिवाद कहाँ पर था 

ग्रीष्मकाल का हुआ था आना
छुट्टी में था सबको जाना
ये सब समय अब कहीं बिताना
शुरू हो गया नया तराना 

वो मुखिया वो पंडित मुल्ला
ओमेहतर नाई ओरे ठुल्ला
शब्दकोष में अब शब्द नया था 
जिसमे जातिवाद छुपा  था 

व्यर्थ खोद अब अर्थ निकाला 
छुआछूत को अब अपनाया
अबतक शिक्षा में न कभी पढा था
हरघर जाति स्तंभ गडा था

कर बखान शान गौरवगाथा
क्यो कह सुन चकराए माथा
जात धर्म कुल महान बडा था 
आज जकडा कही हीन पडा था 

कुछ सफेद कुछ खादी वाले 
मायाजाल से शब्द निराले
ताज जात का रौंदनेवाले
हरघर है विष घोलनेवाले

#तब_जातिवाद_कहाँ_पर_था
#sadharanmanushya

©#maxicandragon प्रथम दाखिला कर शाला में
लिखूँ कहाँ ,नाम  पता न था 
जात लिखूँ कहाँ धर्म लिखूँ
तब जातिवाद कहाँ पर था 

सचिन अमित आशीष पुकारे
अध्यापक उपस्थिति कराने
तब भी कौन न क्या क्या था

प्रथम दाखिला कर शाला में लिखूँ कहाँ ,नाम पता न था जात लिखूँ कहाँ धर्म लिखूँ तब जातिवाद कहाँ पर था सचिन अमित आशीष पुकारे अध्यापक उपस्थिति कराने तब भी कौन न क्या क्या था #Sadharanmanushya #तब_जातिवाद_कहाँ_पर_था