कितने फूलों पे ठहरी वो तितली, रंग जैसे रंगों मे मिल गए, फूलों से रंग चुरा कर,तब रंग बिखेरती है, हवाओं को रंग देती है,जब पंख फेरती है, इतराए क्यों ना? रंग जो इतने सजाए है, अंधेरी कोठरी मे रह कर,यह पंख कमाए है, किस्मत मे भी थी उसके आवारगी, कितने फूलों पे ठहरी वो तितली, वही है कुदरत की नायाब चित्रकारी, जिसके आगे सारी कलाकारी है हारी, इमारतें तो खूब बुलाती है, पर खिडकियों से उडाती है, जाती है बस कभी इस फूल कभी उस कली, कितने फूलों पे ठहरी वो तितली ।। #yqbaba #yqdidi #hindi #shayari #hindipoetry #butterfly #flower #colours