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रिश्तों की अनगिनत बेलें उग आई हैं आसपास कभी भी, कह

रिश्तों की अनगिनत बेलें
उग आई हैं आसपास
कभी भी, कहीं भी, किसी भी वक़्त
कोई न कोई जुड़ जाता है
अपनों से भागता हुआ
कुछ अपना सा ढूंढता हुआ
जेब में लेकर घूमता है
खुद की बनाई हुई एक छद्म सी दुनिया
अब रोने को कोई कंधा नहीं होता
अट्टाहस की कोई महफिल नहीं मिलती है
ना शिकवा शिकायत,
ना रूठना मनाना ही होता है
कुछ होता है तो बस एक स्टेटस अपडेट
खुद की शिकायतें दुनिया भर के कमेंट्स
हद है कि अब स्माइलीज़ की तरह
मुस्कुराने भी लगे हैं लोग
खून के रिश्ते तो संभाले नहीं जाते
सोशल साइट्स पे
रिश्तों की अंतहीन क़तार सी लगी है
खलता है रिश्तों का इस तरह से रिस जाना सोशल साइट्स के रिश्ते
रिश्तों की अनगिनत बेलें
उग आई हैं आसपास
कभी भी, कहीं भी, किसी भी वक़्त
कोई न कोई जुड़ जाता है
अपनों से भागता हुआ
कुछ अपना सा ढूंढता हुआ
जेब में लेकर घूमता है
खुद की बनाई हुई एक छद्म सी दुनिया
अब रोने को कोई कंधा नहीं होता
अट्टाहस की कोई महफिल नहीं मिलती है
ना शिकवा शिकायत,
ना रूठना मनाना ही होता है
कुछ होता है तो बस एक स्टेटस अपडेट
खुद की शिकायतें दुनिया भर के कमेंट्स
हद है कि अब स्माइलीज़ की तरह
मुस्कुराने भी लगे हैं लोग
खून के रिश्ते तो संभाले नहीं जाते
सोशल साइट्स पे
रिश्तों की अंतहीन क़तार सी लगी है
खलता है रिश्तों का इस तरह से रिस जाना सोशल साइट्स के रिश्ते
gautamanand4109

Gautam_Anand

Bronze Star
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