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एक नदी के दो किनारे, नदी को उसकी हद में रखते, उद्ग

एक नदी के दो किनारे,
नदी को उसकी हद में रखते,
उद्गम से सागर गिरने तक,
चलें साथ पर कभी न मिलते।। 

आने वाले हर प्राणी को,
नदी का रौद्र रूप बतलाते,
पत्थर, मिट्टी पर घावों के,
संकेतों से हैं समझाते।। 

इसी नदी के, 'जल' व जलचर,
जीवों का समुचित संरक्षण,
यही किनारे कर रहे हैं,
जबसे पैदा नदी हुई है।। 

ऐसे ही दो पुष्ट किनारे,
हर मानव जीवन में है,
एक लोक, परलोक दूसरा,
बीच प्रवाहित जीवन है।।
एक प्रकृति, ईश्वर दूजा,
बीच समाहित जीवन है।। 


✍️...

©Tara Chandra Kandpal #जीवनधारा
एक नदी के दो किनारे,
नदी को उसकी हद में रखते,
उद्गम से सागर गिरने तक,
चलें साथ पर कभी न मिलते।। 

आने वाले हर प्राणी को,
नदी का रौद्र रूप बतलाते,
पत्थर, मिट्टी पर घावों के,
संकेतों से हैं समझाते।। 

इसी नदी के, 'जल' व जलचर,
जीवों का समुचित संरक्षण,
यही किनारे कर रहे हैं,
जबसे पैदा नदी हुई है।। 

ऐसे ही दो पुष्ट किनारे,
हर मानव जीवन में है,
एक लोक, परलोक दूसरा,
बीच प्रवाहित जीवन है।।
एक प्रकृति, ईश्वर दूजा,
बीच समाहित जीवन है।। 


✍️...

©Tara Chandra Kandpal #जीवनधारा
tarachandrakandp6970

Tara Chandra

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