माँ बाबा की शर्ट मे जो दाग है , तू उसे धोती क्यों नहीं। कुछ दिन से चेहरा तेरा उदास है, तू सोती क्यों नहीं। तेरी चुड़ी, बिदियाँ , कँगन बहुत ढूढें मैने माँ. गिरे हुए उस धागे के मोती , तू पिरोती क्यों नहीं। माँ बाबा की शर्ट मे जो दाग है , तू उसे धोती क्यों नहीं। दरवाजे पर जो मिट्टी है ,मैने देख ली माँ। तेरे सिरहाने पर जो चिट्ठी है , मैने देख ली माँ.। मेरा नया खिलोना अब शायद ना आएगा। मेरा बाबा लौट कर अब वापस ना आएगा। बाहर निकाल अपने अश्कों को, जी भर के तू रोती क्यों नहीं। माँ बाबा की शर्ट मे जो दाग है , तू उसे धोती क्यों नहीं। जैसे तू हर कदम मेरे साथ रहती हैं. उन बेटो को भारत माँ की फिक्र दिन रात रहतीं है। माँ बाबा मेरा महान था ,अपने देश की शान था । जाते -जाते उसने बदूंक चूमि थी। आखिरी साँस मे भी उसने अपनी धरती चूमि थी। बहुत रात हो गई है माँ ,अब तू सोती क्यों नहीं। माँ बाबा की शर्ट मे जो दाग है , तू उसे धोती क्यों नहीं। #कविता #देशभक्ति