तूने प्यार का चखा स्वाद कहाँ तू भी मेरी तरह बर्बाद कहाँ लगता हैं,हर तरह से बर्बाद हूँ कुछ अच्छा भी हुआ था,याद कहाँ आँखों में ना आसूँ,ना कोई मलाल पर दिल से मेरे जैसा,नाशाद कहाँ कहाँ ठिकाना मिलता मुझे,यहाँ दिवानों की बस्ती,आबाद कहाँ सब फरियाद तुझसे की,अब खुदा से करने को फरियाद कहाँ *नाशाद-नाराज,दुःखी