वो ही आजकल हमे दिखा रहे आंख है जिनके मुँह में नही है बिल्कुल दांत है में बात कर रहा हूं,अहसान फरामोशो की जिनकी मदद की थी हमने बिन बात है कैसा ये दुःखदायी ज़माना आ गया है अहसास फ़रामोश होना आम बात है लगता है वो भूल गये अपनी औक़ात है जब उनको हर तरफ से मिल रही थी, झमाझम दुःखो की घणगोर बरसात है तब हमने बिना ज़माने की परवाह किये, दी थी उनको पनाह बिन तहकीकात है वो ही आजकल हमे दिखा रहे आंख है जिन्हें चड्डी सँभालना भी हमने सिखाया, आज वो ही लोग मार रहे हमे लात है ऐसे लोगो का अब करे तो भी क्या करे, जिस थाली में खाते उसे करते ख़राब है ख़ुदा क्या उन जैसों को माफ कर देगा, जिन्होंने आफ़ताब को किया दागदार है अंधेरे से कभी कोई दीपक हारता नही है मरकर भी वो उजाला देना छोड़ता नही है तुम भले आज अंधकारमय लोग जीतलो याद रखना फिर होगी हमारी मुलाकात है हम लड़ेंगे और जीतेंगे सत्य हमारे साथ है हारेंगे और रोयेंगे असत्य तेरे जज्बात है दिल से विजय अहसान फ़रामोश