मेरी प्रेम कल्पना, कोरी कल्पना या परियों की, कथा नहीं ! हाँ, घर की देहरी पर ख़ुशियों की अल्पना होगी, व्यथा नहीं! करता हूँ वादा कि दूँगा साथ तेरा हर हाल कभी होना तुझसे जुदा नहीं! कर देना मेरी छोटी-मोटी गलतियों को माफ़ इंसां हूँ मैं ख़ुदा नहीं! ♥️ Challenge-624 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।