सुकूँ दर ब दर इधर उधर ढूंढू हर जगह सुकूँ कहाँ मिलेंगा पूछू इधर और वहाँ मृग कस्तूरी सा ये मन भागे जंगल जंगल इतर उतर पर्वत, मैदान और जाऊं कहाँ ढूंढू क्या गहरा समंदर मंदिर, मठ, मस्जिद और नापे गिरजाघर सुनो। पर ये तो मिला मन के गहनतम भीतर अंदर, बहुत अंदर सुकूँ