जिन्दगी का यही फलसफा है, कांच की गेंद और पथरीली सतह है। छूने मात्र से बिखर जाएं, ये ऐसा महीन बुलबुला है। सूद पर खर्च होरही है , ये हसीन जिंदगानी। ये खुदा की अमानत, खुदा की शिबा है । दिल देकर दिल लीजिए, इसमें ही आपका नफा है। मत रोकिए सिलसिला ए मोहब्बत, क्योंकि यही असली बरकत, यही खरी रीफा है। ©S ANSHUL'यायावर' रीफा