चल पड़े थे हो बेपरवाह वो,भले ही थे पथरीले रास्ते लुटा दिया सब कुछ अपना,जिन्होंने वतन के वास्ते चलो नमन करते हैं उनको,याद करे उनकी कुर्बानी भारत माता के सजदे को खून बहाया जैसे हो पानी हंसकर डाल लिया था कुछ ने हार समझ कर फंदे को रख दिया हिलाकर जड़ से कुछ ने अंग्रेजो के काले धंधे को चरखे वाला भी था इक जिसने कदमों से मीलों नाप दिया गोरे अंग्रेजो के काले मुख पर अहिंसा का थप्पड़ छाप दिया नही भुला सकते हैं हम उस मेरठ वाले पांडे मंगल को बिगुल बजा जिसने छेड़ा था आजादी के दंगल को भगत राजगुरु सुखदेव ने सब कुछ अपना त्यागा था रौशन सिंह से डरकर डायर छिपकर इंग्लैंड में भागा था आजाद की आज़ादी को नही भुलाया जा सकता है कुर्बानी को अशफ़ाक के नही भुलाया जा सकता हैं एक बोस ने छुड़ा दिए थे छक्के उनके बाप दादाओं के दातों को कर दिया था खट्टा जिसने अंग्रेजी आकाओं के उन वीरों को कुर्बानी आओ हम सब मिलकर याद करे उनके जीवन से कुछ सीखे देश को फिर आबाद करे -अंकुर तिवारी अंजान ©Ankur tiwari चल पड़े थे हो बेपरवाह वो,भले ही थे पथरीले रास्ते लुटा दिया सब कुछ अपना,जिन्होंने वतन के वास्ते चलो नमन करते हैं उनको,याद करे उनकी कुर्बानी भारत माता के सजदे को खून बहाया जैसे हो पानी हंसकर डाल लिया था कुछ ने हार समझ कर फंदे को रख दिया हिलाकर जड़ से कुछ ने अंग्रेजो के काले धंधे को चरखे वाला भी था इक जिसने कदमों से मीलों नाप दिया गोरे अंग्रेजो के काले मुख पर अहिंसा का थप्पड़ छाप दिया