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रिश्तो के बाजार में इन आंखों को बड़े खेल नजर आए ज

रिश्तो के बाजार में इन आंखों को बड़े खेल नजर आए
 जो पास हुआ करते थे वहीं बड़ी दूर नजर आए

 हर बात में एक बात होती जरूर थी हमें डर है कहीं वह बदल न जाए

 हम तो जस के तस रह गए मन के सागर में प्रेम के मोती सजाए 

भला यह क्या हुआ वह अपने थे जो मौसम की तरह बदले बदले मिजाज लिए नजर आए रिश्तो के बाजार
रिश्तो के बाजार में इन आंखों को बड़े खेल नजर आए
 जो पास हुआ करते थे वहीं बड़ी दूर नजर आए

 हर बात में एक बात होती जरूर थी हमें डर है कहीं वह बदल न जाए

 हम तो जस के तस रह गए मन के सागर में प्रेम के मोती सजाए 

भला यह क्या हुआ वह अपने थे जो मौसम की तरह बदले बदले मिजाज लिए नजर आए रिश्तो के बाजार
mayasingh4138

Maya Singh

New Creator