"मुझे हक है बरबादियों के किस्से सुनाने का, तुम्हे हक है उन बर्बादियों पर कहानियां बनाने का, मुझे हक है थोड़ा सा दर्द अल्फ़ाज़ों में लाने का , तुम्हें हक है उस दर्द को नुमाइश बनाने का, मुझे हक है उस हकीकत को दिल मे दबाने का तुम्हें हक है उसे एक फ़साना बनाने का , बरबादियों के निशान होते हैं कई लेकिन तुम्हे हक है मोहब्बत पर इल्जाम लगाने का, ख़्वाहिशों को दफन करके थोड़ाआगे निकल चुका हूँ फिर भी मुझे हक उस मलबे के करीब जाने का, तुम्हे हक है इन अल्फ़ाज़ों को पढ़कर मुस्कराने का फिर मुझे भी शायद थोड़ा हक है कलम उठाने का......." ......@संजीव चौहान#ss #Haq...