सर्द दिसंबर अंधेरी स्याह रातों में तारों को चमकते देखा है, महफ़िल में हँसने वालो की रातों में रोते देखा है, क्या राग यही क्या गीत यही, क्या जीवन का संगीत यही, ज़िंदादिल कहने वालों को किसी और पे मरते देखा है, इस दर्द की कीमत क्या जाने दर्दो के सौदेगर सभी, ना लफ्ज़ समझने वालों को पन्नो को पलटते देखा है, फिर भी ना कोई शिकवा है ,फिर भी ना कोई शिकायत है, नींदों को उड़ाने वालो को रातों में रोते देखा है, इस सर्द दिसंबर में ख़्वावों को खोते देखा है महफ़िल में हँसने वालो को रातों में रोते देखा है #season #december #nojotochallange