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दौलत की चाह थी तो कामने निकल गए, दौलत मिली तो हाथ

दौलत की चाह थी तो कामने निकल गए,
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए,
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत ना मिल साकी,
फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए।
दौलत की चाह थी तो कमाई निकल गई,
दौलत मिली तो हाथ से हाथ निकल गए,
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी,
फुर्सत मिली तो बच्चा ही घर निकल गए।

©Praveen 
  spana sakat hota hai bas vakt ka intjaat rahta hai
praveen1608

Praveen

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spana sakat hota hai bas vakt ka intjaat rahta hai #Shayari

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