रात की नब्ज़ टटोलते-टटोलते भोर के दरवाजे तक पहुँचना चाहता था पहुँच भी गया बहुत कुछ खोया इस सफर के दौरान उसका अफसोस नही, गम जरूर है थोड़ा बहुत जो पाया उसकी खुशी है लेकिन गुरूर नही सवेरा होने में कुछ घंटे, दिन, हफ़्ते, महीने, साल, दशक या शायद पूरी ज़िंदगी लग जाए लेकिन सवेरा होगा ज़रूर हाँ, होगा ज़रूर ।। #sabera