इश्क़ गर गुनाह है तो गुनहगार हूँ मैं, इश्क़ गर दरिया है तो डूबने को तैयार हूँ मैं... ना दिन को सुकून ना रात को चैन मिलता मुझे, इस कदर तेरी यादों से बीमार हूँ मैं... Malik Nadir Dehwar