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कभी पास आते तो कभी दूर जाते कभी हाथ थाम कर चलते तो

कभी पास आते तो कभी दूर जाते
कभी हाथ थाम कर चलते तो 

कभी हाथ छोड़कर बहुत दूर निकल जाते
कभी मुस्कान बन होठों पर थिरका करते

तो कभी आँसू बन हमारी आँखों से रिसते
कभी ताक़त बन जाते मुश्किल पड़े तो

और कभी ख़ुद ही उलझन बन हमसे उलझते
कभी घनी धूप में छाया से होते

कभी रेत बनकर हाथों से फिसलते
कभी आह बनते ,कभी दर्द देते
हैं कैसे ये पल-पल "बदलते रिश्ते"...$$!!

 🎀 Challenge-250 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 70 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
कभी पास आते तो कभी दूर जाते
कभी हाथ थाम कर चलते तो 

कभी हाथ छोड़कर बहुत दूर निकल जाते
कभी मुस्कान बन होठों पर थिरका करते

तो कभी आँसू बन हमारी आँखों से रिसते
कभी ताक़त बन जाते मुश्किल पड़े तो

और कभी ख़ुद ही उलझन बन हमसे उलझते
कभी घनी धूप में छाया से होते

कभी रेत बनकर हाथों से फिसलते
कभी आह बनते ,कभी दर्द देते
हैं कैसे ये पल-पल "बदलते रिश्ते"...$$!!

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