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दर्द अगर बोल दूं तो ज़माना हंस पड़ेगा,इसलिये जज़बा

दर्द अगर बोल दूं तो ज़माना हंस पड़ेगा,इसलिये जज़बातो को छुपाया करती हूं,
कोई नहीं है अपना इस ज़माने में,तभी हर शाम घर लौट जाया करती हूं #Home २
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दर्द अगर बोल दूं तो ज़माना हंस पड़ेगा,इसलिये जज़बातो को छुपाया करती हूं,
कोई नहीं है अपना इस ज़माने में,तभी हर शाम घर लौट जाया करती हूं #Home २
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