नता मस्तक नमस्या भाव में, शिखर में रश्मि आविर्भाव में । सहज लौ लीन अग्नि जल रही है, तपस्वी मीन मनु लव पल रही है ।। मिटा मानुष सकल अभिमान कर तू, शिखर चढ़ रश्मि का आह्वान कर तू । ब्रह्मादिक देव के मस्तक झुके हैं, प्रणव में ईश थिर वन्दन रुके हैं ।। #alokstates #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #yqmonk #lovequotes #कविता