दशहरा असत्य पर सत्य की विजय, इसका प्रतीक है ये त्योहार। रावण तो बस बुराई का एक प्रतीक था, असली रावण तो आज समाज में घुम रहे हैं, दुसरोंकी बहु, माँ, बेटियों की इज्ज़त लुट रहे है। जलाना है तो उस पुतले के रावण को नहीं तो जो अपने अंदर की बुराईयाँ हैं ना उनको जलाओ। जिस दिन होगा समाज में छुपी हर बुराई का नाश उस दिन होगा असल में दशहरे का त्योहार। ©Mrunalini Mandlik मेरी तरफ से आप सबको हँपी दशहरा। ☘️