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मैं नदी की एक बूंद था, जाने कब समन्दर हो गया | देख

मैं नदी की एक बूंद था, जाने कब समन्दर हो गया |
देख मेरे हौसलों को,जब संग ज़माना आ गया |
देख ऊंची लहरों को, धरती अम्बर हिल गया |
 पाषाण सब ओछे हुये , जब हिमालय बन गया | #पाषाण भी ओछे हुये, जब हिमालय बन गया |
मैं नदी की एक बूंद था, जाने कब समन्दर हो गया |
देख मेरे हौसलों को,जब संग ज़माना आ गया |
देख ऊंची लहरों को, धरती अम्बर हिल गया |
 पाषाण सब ओछे हुये , जब हिमालय बन गया | #पाषाण भी ओछे हुये, जब हिमालय बन गया |