इक रोज, साँझ ढ़ले, बहती पुरवईया मुस्काई आँचल मे बाँध वो, बसंती पवन संग लायी, और...लायी, कान्हा का आशीष, साथ मे, इक खुशियों की पोटली, जो भरी थी, नेह के..श्वेत अक्षतों से, इक रोज, साँझ ढ़ले, बहती पुरवईया मुस्काई आँचल मे बाँध वो, बसंती पवन संग लायी, और...लायी, कान्हा का आशीष, साथ मे,