कभी मन की निराशा बन गया हूँ कभी क्रीड़ा की भाषा बन गया हूँ आजकल फेंकते हैं लोग इतना जैसे लूडो का पासा बन गया हूँ --प्रशान्त मिश्रा लूडो का पासा