जो थोड़ा बहुत बच गया हूं मैं, अब वो खो नहीं सकता, मुझ संग दिल लगाने की कोसिश फ़िज़ूल है बुझा हुआ तारा हूँ मैं, फिर से रौशन हो नहीं सकता । ये क़समें बाँधती है, और मैं आज़ाद परिंदा हूँ एक घोंसले में सारी उम्र सो नहीं सकता । मुझे कोसते रहो मेरी आदतों के वास्ते तुम्हारे कोसनें से मेरा कुछ नहीं बिगड़ता । एक चाँद के जाने से अमावस है ज़िंदगी अब चंद तारो से तो पूर्णमासी हो नहीं सकता । जिसके दिल में घर करते करते मैं बिखर गया मेरा मानना था की वो पथर दिल हो नहीं सकता । 🖋️ ~ Nikhil Ranjan IG- @kafir_anaa #purnmashi #amawas #support #follow #quoteoftheday #hindipoetry #love #quotesdaily “Read The content Below : जो थोड़ा बहुत बच गया हूं मैं, अब वो खो नहीं सकता,