मोह्बत उसने हमसे बेशुमार की, पर हम अपनी मोह्बत का इकरार भी ना कर सके, इसका गिला आज भी हैं, उसने हजार वादे निभाए, पर हम एक वादा भी ना कर सके, इसका गिला आज भी हैं, उसने हम पर आंख बंद करके भी ऐतबार किया, पर हम उनके एतबार को मुकम्मल ना कर सके,इसका गिला आज भी हैं, उसने हमें यू चाहा जैसे चांद अपनी चादनी को चाहता है, पर हम ही उसकी चादनी ना बन सके ,इसका गिला आज भी हैं, उसने मेरी सारी ख्वाहिशे पूरी की, पर हम उसकी एक ख्वाहिश पूरी ना कर सके, इसका गिला आज भी हैं, उसने हमें अपनी जिंदगी माना, पर हम उसे अपनी जिंदगी ना बना सके, इसका गिला आज भी हैं। #इसका गिला आज भी हैं