खिड़की वाली सीट पकड़ कर एक टक दुनिया देख रहा हूं जीवन पूरा ट्रेन के जैसा ऐसा मन में सोच रहा हूं ऐसे पीछे जाती दुनिया जैसे बीता लम्हा कोई सफर के साथी कितने लेकिन मानो यात्री तन्हा कोई स्टेशन पर कुछ पल रुकना उसे छोड़ना आगे बढ़ना जीवन के दर्शन को एक ट्रेन के सफर में पढ़ना ©Pramudit Pandey krishn" #life #train #safarnama