#OpenPoetry हर रोज़ घुट रही सांसे है , हर तरफ़ उसकी चीख की आवाजे है , ये दीवारें उसकी सिसकियों की कहानी कहती है , कूछ हैवान उस नन्ही कली को भी जवानी कहते है , हवनीयत की सोचो कैसी इंतेहा हुई होगी , जब वो नासमझ यू सरेआम बेआबरू हुई होगी , हर्ष उन मासूमों का देखकर इंसानियत भी बदहवास होकर रोयी होगी , पर फ़िर भी बेहया बेखौफ वो शैतान है , सच मे मेरा देश महान है , वो कहते है तुम औरत हो ये तुमहरा अभिमान है, पर ये गंदी निगाहें हमारी तरफ़ से तुमहारा इनाम है , तुमपर फब्तियां कसना मेरा अधिकार है , मै मर्द हूँ ये हक है मेरा तू औरत है महज एक सामान है , ये दरिद्गँगि नहीँ है मेरी तेरा मुझ पर लगाया एक बेबुनियाद सा इल्जाम है , मै सही हूँ अपनी जगह तू औरत है ये शर्म की बात है , ये कहने वाला भी मेरे संविधान मे ना किसी सजा का हकदार है , ये देखकर खुद भारत माँ भी हैरान है , सच मे मेरा देश महान है , हर रोज़ मेरे देश मे ना जाने कितनी मासूमों को रौंदा जाता है , अरे गुलाब को तो छोडो जहाँ नन्ही कली को भी कहाँ बक्शा जाता है , फ़िर भी वो उच्ची गद्दी पर बैठे आला कहते है , तू आधी रात को क्यों निकली थी घर से , क्या सोचकर नही रुके तेरे क़दम किसी भी डर से , देख लिवास तेरा छोटा है , बता फ़िर कैसे मेरा सिक्का खोटा है , हद तूने अपनी भुलाई है , इसलिये ये आफत आयी है , वो तो नासमझ ,नादान ,अनजान है , तेरे जिस्म को बिन तेरी मर्जी उसका छूना तेरी अपनी खता क अंजाम है , फ़िर क्यों ये जनसुनवाई बिठायी है , एक नहीँ है कोई उसके जैसे सोचने वाले इस देश मे ना जाने कितने इंसान है , सच मे मेरा देश महान है ॥ #OpenPoetry #country #freedom #women #safety