इत्तु सा_-` चहरा...चहरे पर नक़ाब, फ़िर भी चहरे पर हाथ।आँखें...आँखों मे शर्म, पलकें झुकें मध्यम मध्यम। @j_$tyle read more lines👇👇👇 इत्तु सा पैग़ाम चहरे के नाम। चहरा...चहरे पर नक़ाब, फ़िर भी चहरे पर हाथ। आँखें...आँखों मे शर्म, पलकें झुकें मध्यम-मध्यम। था चाँदनी सा चहरा,हुआ अब गुलाबी गुलाबी। चहरा...चहरे की खुशी... छिपाई जा रही, मुस्कुराहट... को लबों पे आने ना दिया। क्या...बताऊँ यार... उसने मुझे अपना बने ना दिया, नजरों...से नज़र को मिलने ना दिया। क्या करूँ यार...