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"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति

"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव.
2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर होने वाले बदलाव.

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                     संस्कृति किसी समाज में लोगों की संज्ञानात्मक एवं भौतिकीय प्रक्रियात्मकता के मानकीकरण का साधन होती है, जो उस समाज के बीच ही सीखी और विकसित की जाती है|संस्कृतियों की तीन आयाम - 'संज्ञानात्मक (श्रव्य/दृश्य), मानकीय(व्यवहृत आचरण), भौतिकीय (उपभोग)' ही वे उपागम हैं, जो उसकी प्रकृति ए
"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव.
2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर होने वाले बदलाव.

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                     संस्कृति किसी समाज में लोगों की संज्ञानात्मक एवं भौतिकीय प्रक्रियात्मकता के मानकीकरण का साधन होती है, जो उस समाज के बीच ही सीखी और विकसित की जाती है|संस्कृतियों की तीन आयाम - 'संज्ञानात्मक (श्रव्य/दृश्य), मानकीय(व्यवहृत आचरण), भौतिकीय (उपभोग)' ही वे उपागम हैं, जो उसकी प्रकृति ए

1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर होने वाले बदलाव. ******************************************* संस्कृति किसी समाज में लोगों की संज्ञानात्मक एवं भौतिकीय प्रक्रियात्मकता के मानकीकरण का साधन होती है, जो उस समाज के बीच ही सीखी और विकसित की जाती है|संस्कृतियों की तीन आयाम - 'संज्ञानात्मक (श्रव्य/दृश्य), मानकीय(व्यवहृत आचरण), भौतिकीय (उपभोग)' ही वे उपागम हैं, जो उसकी प्रकृति ए #India #Culture #Thinking #yqhindi #changes #निबन्ध #हरिगोविन्दविचारश्रृंखला