काँटों के पड़खच्चे उड़ गए, चट्टानें हो गई चकनाचूर। उन लोगों की सिली जुबानें, जो कहते थे मंजिल दूर।। विजयपर्व ये न साधारण, त्याग तपस्या तोलूँगा मैं। अब तक सबकी सुनी थी बातें, आज मगर अब बोलूंगा मैं।। - अश्वनी दीक्षित #dixitg #motivation #goal