वो स्क्रीन/बाजार में मनोरंजन है जिसके पीछे किसी का काला या सफेद पैसा और काला या सफेद दिमाग है। वो कुछ लोगों के लिए प्यारा रोजगार है, कुछ लोगों के लिए सस्ता, महंगा प्रचार है। वो कुछ लोगों का एजेंडा और कुछ लोगों का प्रोपोगेंडा हो सकता है। उसे देख किसी के मन में क्रोध, गर्व, तो किसी को लज्जा, घृणा या कि सिरे से विरोध होता है। कोई महंगा तो कोई सस्ता होता है पर गौर करोगे तो जानोगे प्लेटो के अलावा हर कोई मानता है कला का प्रोडक्ट अनुकरणीय और बड़े फीसद तक सच्चा होता है। स्क्रीन सहित्य और गलतफहमी