जीवन के हर पहलू में शिक्षक का एक किरदार है जो हम सभी अज्ञानी के खातिर बड़ा ही असरदार है पहली - पहली बार जब हम कांधे पर बस्ता और हाथ में काली - काली पटरी लेकर जाया करते थे तो मेरी नन्ही- नन्ही उंगलियों को पकड़कर अ, आ, क, ख, ग इत्यादि उन्होंने लिखना सिखाया गिनती पहाड़ा का भी बखूबी बोध उन्होंने कराया मेरे मंद बुद्धि का कर शुद्धि करण सूरज सा तेज बनाया मेरे जीवन में ठहरे हर अंधेरे को दूर भगाया हर - क्षण बनकर ढाल मुझे हिम्मत का बांध - बंधाया हर गलत सही निर्णय लेने का हुनर भी मुझको सिखाया शांति एकाग्र सात्विकता से मुझे रूबरू कराया हम चले सच्चे मार्ग पर ऐसा भी एक सहज सुखद राह दिखाया डर संशय को दूर भगाकर निर्भीकता का पाठ पढ़ाया मानव बनकर जीवन में रहने का एक - एक कला सिखाया ।। अंजली श्रीवास्तव फिरोजाबाद