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ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ डाल कर ख़ा

ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ

डाल कर ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ 
ज़ब्त* कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है   (*ज़ब्त - सहनशीलता)
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ

उस के पहलू* में जो ले जा के सुला दूँ दिल को (*पहलू - गोद)
नींद ऐसी उसे आए के जगा भी न सकूँ 
नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श* नहीं है कि झुका भी न सकूँ   (*अर्श - आसमान)

बेवफ़ा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ 
इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ
Bhai Monu

©Cute Beauty
  Dark Night
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BhaiMonu

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Dark Night #ज़िन्दगी

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