// वो खूबसूरत यादें // कितनी प्यारी थी हसीं तुम्हारी, कहाँ खो दिया उसे..ये उदास सी ख़ामोशी.. कहाँ से ले आयी हो तुम.. ख़ामोशी में उदासी, अब रही कहाँ.. तुम्हें देख लिया फ़िर से तो.. सारी उदासियाँ ख़ामोश हो गयीं है जैसे.. लेकिन..तुम इतने ख़ामोश- ख़ामोश से क्यों हो.. बात - बात पर खिलखिलाना, हँसना तो जैसे तुम्हारे फितरत में था.. याद है हमारी वो चंद मुलाक़ात, हम पहाड़ी पे गये थे..मौसम तो नहीं था, फिर भी घटाएँ उमड़ आयीं थी.. ऐसे में तुम कुछ कहना चाहते थे मुझसे, और मैं कुछ सुनना.. मैं कुछ और सोच रही थी, और तुम कुछ और कह रहे थे.. - सुचिता पाण्डेय✍ // वो खूबसूरत यादें // कितनी प्यारी थी हसीं तुम्हारी, कहाँ खो दिया उसे..ये उदास सी ख़ामोशी.. कहाँ से ले आयी हो तुम.. ख़ामोशी में उदासी, अब रही कहाँ.. तुम्हें देख लिया फ़िर से तो..