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शक की पैदाइश के वक़्त ही हो जाती है। खो जाता है

शक की पैदाइश के वक़्त
 ही हो जाती है।
  खो जाता है जब यकीन,
गलतफहमी के तूफ़ान में।
रह जाता है सिर्फ खंडहर,
 नींव के ढेहने के बाद।
दब जाती है यादें गुस्से के
 मलबे के नीचे।
खड़ी रह जाती है बिन छत
  बुत बनी वो इक दीवार।
कोई सवाल, कोई जवाब,
 कोई उम्मीद, न कोई सपना।
सिर्फ सन्नाटा बचता है..
क्योंकि ख़त्म हो जाता है रिश्ता..
शक की पैदाइश के साथ।
  
   #रिश्तेकीमौत #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
शक की पैदाइश के वक़्त
 ही हो जाती है।
  खो जाता है जब यकीन,
गलतफहमी के तूफ़ान में।
रह जाता है सिर्फ खंडहर,
 नींव के ढेहने के बाद।
दब जाती है यादें गुस्से के
 मलबे के नीचे।
खड़ी रह जाती है बिन छत
  बुत बनी वो इक दीवार।
कोई सवाल, कोई जवाब,
 कोई उम्मीद, न कोई सपना।
सिर्फ सन्नाटा बचता है..
क्योंकि ख़त्म हो जाता है रिश्ता..
शक की पैदाइश के साथ।
  
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