थोड़ी सी तकलीफ़ मुझे हो रही है गलती मेरी कुछ नहीं पर आंखों में पानी न जाने कहां से अा रही है कुछ ख़्याल मेरा भी किया होता ख़ुद से दूर करने से पहले एक बार ही सही लेकिन सोचा होता मैं तो तेरी थी इसलिए ख़ामोश थी बार बार तेरा एक ही सवाल पूछना मुझे रोने पर हर बार मजबुर करता था न चाहते हुए भी अपने दिल के एहसासों को झूठा समझना पड़ता था क्यूं खुदा बदल दी जिंदगी मेरी रो रोकर अब आंसुओं के दाग़ को छुपाना पड़ता था तेरा जाना गलत नहीं था तुमसे मेरा जुड़ना शायद ये गलत था क्यूं बेवजह गया बिखेर दुनियां मेरी अब तो चेहरे पर खुशियां भी न रहा सब पूछते रहे और मैं चुप रही मैं तो तेरी थी इसलिए ख़ामोश रही किसी के चले जाने से खुशियां कम नहीं होता लेकिन उस इंसान की याद मुस्कुराने भी तो नहीं देता 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 सूखे पत्तों की तरह या कहे रेत की तरह बिखर जाते रिश्ते अगर उस रिश्ते को संभालने की कोशिश न कि जाए,,,,,,,,