Nojoto: Largest Storytelling Platform

स्वयं की अपेक्षाओं के अतिरिक्त संसार में आपको कोई

स्वयं की अपेक्षाओं के अतिरिक्त संसार में आपको कोई दुखी नहीं कर सकता। अपेक्षाओं के छूटते ही दुखों की अनुभूति भी छूट जाती है। प्रियजनों के आचरण का बदलाव हो, या फिर रोजमर्रे का तनाव। भौतिक संसाधनों का अभाव हो, या फिर कोई मानसिक घाव। सारा खेल केवल और केवल अपेक्षाओं का ही है। परंतु गृहस्थ जीवन व्यतीत कर के भी अपेक्षाओं का पूर्णतः त्याग कर पाना किस प्रकार संभव होगा ?
विचार स्वयं कीजिएगा।।

©Rohit shekharkhaware
  #Tanhai #suvichar #Nojoto #Hindi #viral #Poetry