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मेरे क़िस्मत का वो वक़्त थम सा गया, इत्तेफाक़ की वो च

मेरे क़िस्मत का वो वक़्त थम सा गया,
इत्तेफाक़ की वो चादर ढ़क सी गयी,
ज़रूरत तो इत्तेफाक़ की भी ना थी,
पर ज़िन्दगी मुक्कमल थी इसलिए,
इस चादर के अंधेरों में लिपट सा गया। #जिंदिगी
मेरे क़िस्मत का वो वक़्त थम सा गया,
इत्तेफाक़ की वो चादर ढ़क सी गयी,
ज़रूरत तो इत्तेफाक़ की भी ना थी,
पर ज़िन्दगी मुक्कमल थी इसलिए,
इस चादर के अंधेरों में लिपट सा गया। #जिंदिगी
karansingh2991

Karan Singh

New Creator