इस हरे पत्ते की तरह, आज हम जवान हैं। कल यह सूख जाएगा, यौवन भी रूठ जाएगा। मिलना है सब को , ख़ाक़ मे इक दिन। बदल जाना है सब कुछ, राख़ मे एक दिन । मालो-ज़र , सब यहीं रह जाएगा, कौन ले गया, जो तू ले जाएगा। फिर यह मग़रूरी कैसी, चाहने वालों से दूरी कैसी। आओ कि ज़िन्दॄग़ी , जश्न मनाने के लिए है। दुनियाँ को अपना, बनाने के लिए है। — % & सुप्रभात लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳