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इस हरे पत्ते की तरह, आज हम जवान हैं। कल यह सूख जा

इस हरे पत्ते की तरह,
 आज हम जवान हैं।
कल यह सूख जाएगा, 
 यौवन भी रूठ  जाएगा।
मिलना है सब को ,
ख़ाक़ मे इक दिन।
बदल जाना है सब कुछ,
राख़ मे एक दिन ।
मालो-ज़र , सब यहीं रह जाएगा,
कौन ले गया, जो तू ले जाएगा।
फिर यह मग़रूरी कैसी,
चाहने वालों से दूरी कैसी।
आओ कि ज़िन्दॄग़ी ,
जश्न मनाने के लिए है।
दुनियाँ को अपना,
बनाने के लिए है।


— % & सुप्रभात लेखकों।😊

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इस हरे पत्ते की तरह,
 आज हम जवान हैं।
कल यह सूख जाएगा, 
 यौवन भी रूठ  जाएगा।
मिलना है सब को ,
ख़ाक़ मे इक दिन।
बदल जाना है सब कुछ,
राख़ मे एक दिन ।
मालो-ज़र , सब यहीं रह जाएगा,
कौन ले गया, जो तू ले जाएगा।
फिर यह मग़रूरी कैसी,
चाहने वालों से दूरी कैसी।
आओ कि ज़िन्दॄग़ी ,
जश्न मनाने के लिए है।
दुनियाँ को अपना,
बनाने के लिए है।


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