कल दुर्गा सप्तमी थी। माँ दुर्गा का सातवाँ रूप "कालरात्रि" का। ये रूप माँ का सबसे डरावना,भयंकर रूप है। कल से मैं सोंच में थी,माँ का सातवाँ रूप और मेरी जन्म तिथि सात(07/03) एक है,तो मुझमें माँ कालरात्रि का कुछ प्रभाव ज़रूर होना चाहिए। मुझे भी संसार के दुष्टों का नाश करना चाहिए। मैं भी माँ हूँ और अंबे माँ का कुछ अंश मुझमें भी ज़रूर होगा। पर बाहर बैठे दुष्टोंँ का नाश करने से पहले सोंचा घर में विराजे दुष्टों का नाश करूँ। वैसे अपने आपकी समाज में छवि बनाने से पहले घर में कुछ practice कर लेनी चाहिए। अब आई पतिदेव की बारी। जैसे कि हर शादीशुदा जोडे़ की बनती नहीं.....क्षमा वैसे तो कईंयो की बनती नहीं है पर मेरा ऐसा लिखना या कहना किसी को बुरा लग सकता है। तो कहती हूँ कुछ couples की आपस में बनती नहीं तो वही बन जाते है एक दूसरे के जीवन के शत्रु(दुष्ट राक्षस) । जी यहाँ मेरे पति कभी देव बनते है कभी दानव तो कभी साधारण मानव। जब दानव बनते है तो उनके उस रूप का संहार करने मुझे अपने भयंकर रूप में प्रकट होना चाहिए ऐसी मुझे बडी़ आवश्यकता सी लगती है(वैसे कईं बार होती है)। पर यह सोंचकर अपने आपको समझा लेती हूँ ,माँ काली को शांत करने,विश्व का तहस-नहस करने से बचाने के लिए उनके पति श्री महादेव को उनके कदमों को रोकने के लिए उनके नीचे आना पडा़ था। माँ के क्रोध को अपने शरीर पर सहना पडा़ था। उन्हे शाँत कराना पडा़ था। वैसे शाँत मुझे कौन कराएगा? यही सोंचकर अपने कदम मैंने पीछे ले लिए। और मनुष्य से देवी बनने के खयाल को त्याग दिया। माँ से प्रार्थना की वह स्वयं इन्हें बुद्धि दे और मेरा उद्धार करे।
जय माँ काली।
शुभ महाअष्टमी सभी को🙏🙏।। #paidstory