बैठे हैं आज चाँदनी रात में यूँही तन्हाई में तुम्हें याद करने ढूँढ के सारे ज़ख्म दिल के एक बार उन्हें रफू कर लूँ कभी कभी आरज़ू होती है फिर से मोहब्बत कर लूँ बड़ी लंबी ग़ुफ्तगू हैं मेरा ऐ रात! आज तू ठहर जा जरा तू भी आज सुन मेरी दास्तां तन्हाई के आलम में आज करनी है आसमां से ग़ुफ्तगू चांँद, सितारे, रात और आसमां ये दास्तां इश्क़ की सुन ना जाने क्यों आज रो पड़े। ♥️ Challenge-681 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।