ज़िन्दगी ऐसी ही तंग थी जैसे हाथों की लकीरें ज़िन्दगी की इन बेतुकी राहों को छोड़कर एक सीधी राह चुनी थी मैंने सिर्फ इसलिये की चलना था सिर्फ चलना था न जाने कहाँ के लिये न जाने किसके लिये #ज़िन्दगीकीराहें