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एक गुनाह हर रोज़ किए जा रहे हैं जो हमारा है नहीं

एक गुनाह  हर रोज़ किए जा रहे हैं
जो हमारा है नहीं
हर वक़्त उसकी ख्वाहिश किए जा रहे हैं।
खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे है
घड़ी भर के मुसाफ़िर के लिए
 बेचैन हम हर वक़्त हुए जा रहे हैं।
वो बेहरूपी नहीं ज़रा भी
बस हम ही उन्हें  अलग लिबास पहनाए जा रहे हैं।
ये गुनाह हम हर रोज़ किए जा रहे है
खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे हैं। problems are self created#nojoto
एक गुनाह  हर रोज़ किए जा रहे हैं
जो हमारा है नहीं
हर वक़्त उसकी ख्वाहिश किए जा रहे हैं।
खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे है
घड़ी भर के मुसाफ़िर के लिए
 बेचैन हम हर वक़्त हुए जा रहे हैं।
वो बेहरूपी नहीं ज़रा भी
बस हम ही उन्हें  अलग लिबास पहनाए जा रहे हैं।
ये गुनाह हम हर रोज़ किए जा रहे है
खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे हैं। problems are self created#nojoto

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