एक गुनाह हर रोज़ किए जा रहे हैं जो हमारा है नहीं हर वक़्त उसकी ख्वाहिश किए जा रहे हैं। खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे है घड़ी भर के मुसाफ़िर के लिए बेचैन हम हर वक़्त हुए जा रहे हैं। वो बेहरूपी नहीं ज़रा भी बस हम ही उन्हें अलग लिबास पहनाए जा रहे हैं। ये गुनाह हम हर रोज़ किए जा रहे है खुद को दोखा हम खुद ही दिए जा रहे हैं। problems are self created#nojoto