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गर तू एहसासों की ज़मीं होती मैं तुझ पर पड़ा गर्द होत

गर तू एहसासों की ज़मीं होती मैं तुझ पर पड़ा गर्द होता,
पतझड़  कि  तमन्ना  थी  हर  पेड़  का  पत्ता  जर्द होता।
वो  ख़ुश-रंग  मौसम  सर्द  सी  दोपहर  और  उदास  हम,
हँसकर सह लेते हर आज़ार साथ जो कोई हमदर्द होता। #सर्द_सी_दोपहर_team_alfaz
#new_challenge

*Theme- सर्द सी दोपहर*

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
गर तू एहसासों की ज़मीं होती मैं तुझ पर पड़ा गर्द होता,
पतझड़  कि  तमन्ना  थी  हर  पेड़  का  पत्ता  जर्द होता।
वो  ख़ुश-रंग  मौसम  सर्द  सी  दोपहर  और  उदास  हम,
हँसकर सह लेते हर आज़ार साथ जो कोई हमदर्द होता। #सर्द_सी_दोपहर_team_alfaz
#new_challenge

*Theme- सर्द सी दोपहर*

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)