बाधायें आती है आएं अंगद सा खड़ी रहूँगी.... प्रतिकूल रहे संसार भले ही, मैं लक्ष्य साधकर अड़ी रहूँगी....! अंधकार हो या उजाला, काँटों की सेज हो या फूलों की माला, हिमालय सा निर्भीक निडर रहूँगी....! पत्तों की जिद्द के सम्मुख भी, रुकना स्वीकार नहीं करूँगी....! विचलित हुए बिना ही, अपना कर्त्तव्य निभाती रहूँगी....! तपती धूप में तपकर ही, अपने पथ पर अडिग और अटल रहूँगी....! सच्ची लगन और मेहनत से, अपने सतत प्रयासों से, अपनी मंजिल को पाकर रहूँगी....!! ©rishika khushi #AtalBihari #AtalBihariVajpaayee