जिंदगी के सफ़र में भटकते रहे थक गया तब तुम्हारा खयाल आ गया चंद सपने जो देखे चांदनी रात में नींद खुल गई अमावस आ गया जिस खुशी के लिए हम तरसते रहे कोई गैर उसको चुरा ले गया ऐसी किस्मत कहा की उन्हे पा सके एक नज़र क्या मिली वो खफां हो गई इक चाहत थी बस उनके दीदार की जब मिली तब था घूंघट से चेहरा छिपा जो कफ़न में लिपट कर रहे थे हम सो रहे उनकी आंखो की दरिया में हम बह गए ना थी घूंघट ना आंचल से चेहरा ढंका उनके अपने उन्हे कोसते रह गए मेरे अपने हमें देखते रह गए dil ki kalam se