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अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर, जब तक होता माली

अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर, 
जब तक होता माली देख रेख को 
शायद तबतलक मुस्कुराते हैं। 

अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर, 
ये महफूज होतें बाग़ियाँ मे 
पर ये सज किसी समारोह मे इठलाते हैं। 
पातें है अगली सुबह ही खुद को मुरझाया हुआ।। 

अक्सर शाख से टूट के वो फूल, वही फूल नही रहते, 
जो हवा के साथ बहते थे, सूरज की रौशनी मे चमकते थे। 
चिड़ियों और तितलियों की संगत मे चहकते थे।। 

इनके रंग उड़ने पर, 
अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla 
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